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Jhunjhunu विदेशों में भी मातृभाषा के प्रति लगाव, हिंदी की छांव में बसा हर दिल

 
Jhunjhunu विदेशों में भी मातृभाषा के प्रति लगाव, हिंदी की छांव में बसा हर दिल

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू मातृभाषा हिंदी के प्रति प्रेम न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी कायम है। झुंझुनूं जिले के कई परिवार, जो वर्षों से विभिन्न देशों में बसे हुए हैं, आज भी अपनी हिंदी से बेपनाह मोहब्बत को बनाए हुए हैं। चाहे वह ऑस्ट्रेलिया हो, लंदन हो या दुबई, इन परिवारों के लिए हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, एक सांस्कृतिक धरोहर है जिसे वे अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का हर प्रयास कर रहे हैं।

लंदन में कई लोगों को सीखा दी हिंदी

गांव जोधपुरा के मूल निवासी पुष्पेंद्र मीणा व गायत्री मीणा वर्तमान में लंदन में रह रहे हैं। वे वहां अपने आसपास के लोगों को हिंदी सिखाने में लगे हैं। दोनों ने बताया कि भले ही वे विदेश में हों, लेकिन उनका दिल हमेशा भारत में ही बसा है। लंदन में काम करने वाले उनके सहकर्मी हिंदी सुनकर प्रभावित होते हैं और कई लोग तो हिंदी बोलना सीख भी गए। लंदन में भारत के त्योहार भी मनाते हैं और हिंदुस्तानी पहनावा ही पहनते हैं। उनके 4 वर्ष का बेटा अंश झिरवाल है। गायत्री ने बताया कि ड्यूटी से आने के बाद अंश को घर पर ही हिंदी पढ़ाते हैं। अंश उनके साथ घर पर हिंदी या मारवाड़ी में ही बात करता है।

लंदन में की पढ़ाई, दुबई में रह रहे, हिंदी से लगाव

लंदन से वकालत की पढ़ाई कर दुबई में रह रही गांव जोधपुरा की बहु चारू मीणा ने ने बताया कि दुबई में बड़ी संख्या में हिंदुस्तानी रहते हैं। उनसे हिंदी में ही बात करते हैं। उनके पति इंजीनियर पंकज मीणा जिस कंपनी में कार्यरत है, उसमें भी कई भारतीय लोग काम करते हैं, उनसे सबसे हिंदी में ही बातचीत करते हैं। दोनों ने बताया कि जब गांव आते हैं, तब मारवाड़ी में ही बातचीत करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी का सम्मान, बेटे को पढ़ा रहे जयपुर में

गांव पापड़ा खुर्द निवासी गिरिराज सिंह शेखावत व उनकी पत्नी राजश्री राठौड़ पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ (ब्रूम) में रहते हैं। वे 2009 से विदेश में रह रहे हैं लेकिन मातृभाषा से लगाव कम नहीं हुआ। घर पर व अन्य भारतीयों से मिलते समय हिंदी में ही बात करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के कई लोग उनसे हिंदी सीखकर बोलने की कोशिश करते हैं। खास बात यह है कि अब ऑस्ट्रेलिया के नागरिक होने के बाद भी गिरिराज सिंह व राजश्री राठौड़ अपने इकलौते बेटे भव्य राज सिंह को भारत में ही पढा कर हिंदी सीखा रहे हैं। भव्य जयपुर में कक्षा चार में अध्यनरत है।