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Jalore 60 किमी दायरे तक घायल गोवंश और पशुओं को लेने के लिए पहुंचती है एंबुलेंस

 
Jalore 60 किमी दायरे तक घायल गोवंश और पशुओं को लेने के लिए पहुंचती है एंबुलेंस

जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर  शहर के खजुरिए नाले के पास संचालित श्रीगोपाल कृष्ण गोशाला गोसंरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रही है। 2005-06 में गोभक्त हीरालाल सोनी की अगुवाई में शहरवासियों ने मिलकर इस गोशाला की शुरुआत की थी। यह गोशाला घायल व बीमार बेसहारा पशुओं व वन्य जीवों को नया जीवनदान दे रही है। गोशाला अध्यक्ष बाबूलाल परमार बताते हैं इस गोशाला में तीन एंबुलेंस है, जो 60 किमी के दायरे में घायल या बीमार गोवंश के संरक्षण के लिए पहुंचती है। जिसके बाद गोवंश को गोशाला में लाकर इलाज किया जा रहा है। गोशाला में वर्तमान में 3 हजार 400 गाय व नंदी संरक्षित है। इसके अलावा 35 वन्य जीव भी है। वर्तमान में यहां पर बीमार गायों व अन्य पशुओं के लिए वातानुकूलित जालीदार चिकित्सालय, नंदी व गायों के लिए अलग-अलग टीनशेड बने हुए है।

गो चिकित्सालय में 150 से अधिक उपचाराधीन

सडक़ दुर्घटनाओं में घायल गोवंश व वन्य जीवों का यहां रखकर इलाज किया जा रहा है। संचालित गो चिकित्सालय में 150 बीमार गाय व बछड़ों के साथ तीन बंदर, पांच कुत्ते व नीलगायों का उपचार किया चल रहा है। चिकित्साकर्मी रणजीत ने बताया कि यहां भर्ती श्वान के चारों पैर ट्रेन की चपेट में आने से कट गए है। अब उन्हें गोशाला में रखकर इलाज किया जा रहा है। वहीं घायल मादा बंदर की मौत के बाद यहां बंदरों के बच्चों को भी रखकर पाला जा रहा है।

पुश्तैनी खेत दिया था दान

कांतिलाल श्रीमाली व उनके परिवार 2005-06 में गोशाला के लिए खजुरिए नाले पर पुश्तैनी खेत गोशाला के लिए दान किया था। उसके बाद कुछ युवाओं व समाजसेवियों ने मिलकर यहां गोशाला शुरू की। गोभक्त भीनमाल निवासी हीरालाल कस्तुरमल माली, दासपां निवासी सुरजमल हेमराज राजपुरोहित व वागावास निवासी तिकमाराम रेखाराम चौधरी ने बीमार व घायल गोवंश को गोशाला तक लाने के लिए अलग-अलग तीन गो एम्बुलेंस भेंट की।