राजस्थान सरकार भी बच्चियों से बलात्कार के मामलों पर लगाम कसने में रही फिसड्डी, सालभर में दर्ज हुए महिला अपराध के 36,299 मामले

जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान महिलाओं और खासकर छोटी बच्चियों से बलात्कार और उसके बाद हत्या के मामले के कई प्रकरणों में चर्चित रहा। कई मामलों में रसूखदार भी सामने आए तो कई मामले अभी तक लंबित चल रहे हैं, सवाल यह है कि महिलाओं के प्रति सुरक्षा अभियान चलाने का क्या लाभ मिला। अभी भी हालात इतने नहीं सुधरे हैं कि बच्चियां सुरक्षित रह सकें। हालांकि प्रदेश में भाजपा सरकार ने आने के बाद अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की पुलिस को खुली छूट दी, इसके चलते प्रदेश में अपराध में कुछ कमी आई लेकिन सवाल जस का तस है।
साल 2023 में नवम्बर तक के मुकाबले नवम्बर 2024 तक कुल महिला अपराधों के ग्राफ में कमी हुई है। 2023 के मुकाबले 2024 में 9.53 प्रतिशत महिला अपराध की कमी हुई। जहां 2023 में 40124 महिलाओं से संबंधित अपराध हुए। वहीं 2024 में 36299 अपराध दर्ज हुए। पुलिस मुख्यालय की ओर से नवम्बर तक जारी आंकड़ों में महिला अपराध को 9 श्रेणी में वर्गीकृत कर रखा है। इसमें एक श्रेणी छोटी बच्चियों से बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जबकि अन्य 8 श्रेणी में कमी हुई है।
केस 01… शादी की पहली रात से मिला धोखा, पुलिस ने बयान बदले
अप्रेल 2019 में मेरी शादी हुई। शादी की पहली रात को ही पति शराब के नशे में आया तो सन्न रह गई, जबकि पहले उसका चाल चलन अच्छा बताया गया था। शादी के बाद से वह मानसिक प्रताड़ना देने लगा और मारपीट तक बात पहुंच गई। दिसम्बर 2023 में रात को मेरे साथ मारपीट की तो सुबह बजाज नगर थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाने की बात कही। साजिश के तहत सास-ससुर सुबह थाने पहुंचे और मेरे व मेरे पति के खिलाफ रिपोर्ट दी।मुझे ही बंद करने की धमकी: मैंने सितम्बर 2023 में महिला थाने, दिसम्बर 2024 में बजाज नगर थाने में शिकायत दी, तीसरी बार पहुंची तो पुलिस ने मुझे ही बंद करने की धमकी दे दी और शिकायत भी नहीं ली। पति से अलग रहने लगी, पति वहां भी आकर उत्पात मचाता। इसके बाद महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई और सुनवाई हुई।
पुलिस ने बयान गायब किए: रिपोर्ट पर बजाज नगर थाना पुलिस ने पति और मेरे बयान भी लिए थे। पुलिस ने कोर्ट में दस्तावेज पेश किए तो उसमें मेरे व पति के बयान गायब थे और हमारे बयानों की जगह सास-ससुर के बयान की कॉपी थी।
केस 02… पति ने इतना प्रताड़ित किया कि अलग होने का निर्णय लेना पड़ा
पच्चीस वर्षीय युवती ने बताया कि दिसम्बर 2021 में जयपुर निवासी युवक से शादी हुई। युवक की दिमागी हालत सही नहीं थी और उसके परिजन ने झूठ बोला कि बेटे के कोई बीमारी नहीं। शादी के बाद से ही पति मारपीट करने लगा। शराब भी पीता था। पता चला कि पति की दिमागी हालत सही नहीं है। चिकित्सकों से उपचार करवाया, तब उन्होंने भी दिमागी हालत सही नहीं होना बताकर घर भेज दिया। क्या करती, शादी हुई थी।
बच्चों से भी मारपीट: पति की प्रताड़ना भी सहने लगी। बच्चे हो गए, तब पति मुझसे मारपीट करता और बच्चों से भी मारपीट करने लगा। छोटे बच्चों को उठाकर फेंक देता। प्रताड़ना असहनीय होने पर माता-पिता के घर आ गई। महिला थाना में पूर्व में रिपोर्ट दी थी।
थाने के चक्कर कटवाए: पुलिस ने कई चक्कर कटवाए। लेकिन कमिश्नरेट में बड़े अधिकारियों से संपर्क किया तो उसके बाद थाने में उनकी सुनवाई हुई। उसने कहा कि पति का नाम उजागर करने से क्या मिलेगा। पुलिस उम्मीद है कि पुलिस उन्हें न्याय दिलवाएगी।
सहन करने व चुप रहने से बच रहे अपराधी
-21 प्रकरण महिलाओं से रेप के बाद हत्या करने के दर्ज, वर्ष 2024 में नवम्बर तक
-06 में प्रकरण को झूठा मानते हुए एफआर, 9 में चालान पेश
-824 प्रकरण दर्ज गैंग रेप के, इसमें 405 को झूठा माना, 198 में चालान
-14 मामले दर्ज छोटी बच्चियों से रेप के बाद हत्या मामले में
-124 मामले 2024 में जिनमें से 71 में एफआर और वहीं दहेज हत्या आत्महत्या के 38 मामले।
विशेषज्ञ की बात: मामले में देरी से नष्ट हो जाते हैं साक्ष्य
महिलाओं के केस में पारदर्शिता रखनी चाहिए। कोई भी मामला पुलिस या कोर्ट के सामने आए तो उसमें तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। मामले में देरी से साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं और पीड़ित महिला को न्याय नहीं मिल पाता। लड़की खुद भी कहीं चली गई, तब भी पुलिस को तुरंत रिपोर्ट दर्ज कर तलाश शुरू कर देनी चाहिए, लेकिन पुलिस 24 घंटे का इंतजार करवाती है। तब तक दुनिया ही बदल जाती है। महिलाओं को शिक्षित करना होगा। आज भारत में सबसे अधिक कानून महिलाओं को लेकर बने हैं। लेकिन महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं है।