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राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क हादसों में बढ़ती मौतों पर उठाया संज्ञान, राज्य सरकार को नोटिस जारी

राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क हादसों में बढ़ती मौतों पर उठाया संज्ञान, राज्य सरकार को नोटिस जारी
 
राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क हादसों में बढ़ती मौतों पर उठाया संज्ञान, राज्य सरकार को नोटिस जारी

राजस्थान में सड़क हादसों में लगातार बढ़ती मौतों और दुर्घटनाओं की घटनाओं को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर और जोधपुर दोनों पीठों ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लिया। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि सड़क हादसों को रोकने और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

सड़क हादसों की भयावह स्थिति

राज्य में सड़क हादसों के कारण हर वर्ष सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। विभिन्न जिलों से लगातार आने वाली रिपोर्टों के अनुसार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, जोधपुर-जयपुर मार्ग, बारां, दौसा और अन्य जिलों में तेज रफ्तार और लापरवाही से हादसों की संख्या बढ़ रही है।

अदालत ने नोटिस में राज्य सरकार से विभिन्न उपायों की रिपोर्ट मांगी है, जिसमें शामिल हैं:

  • सड़क सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित करने के उपाय

  • एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुरक्षा निगरानी

  • चालकों और वाहन मालिकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम

  • सड़क हादसों पर त्वरित बचाव और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र

सामाजिक और न्यायिक चिंता

हाईकोर्ट ने कहा कि सड़क हादसों के कारण जीवन की भारी हानि हो रही है और परिवारों का भरण-पोषण प्रभावित हो रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ प्रशासनिक नाकामी का नहीं बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा का मुद्दा है, इसलिए राज्य और केंद्र सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में सड़क हादसों के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  • तेज रफ्तार वाहन और ओवरटेकिंग

  • ट्रक और भारी वाहन चालकों की थकान

  • सड़क पर निगरानी की कमी और ट्रैफिक नियमों का पालन न होना

  • खराब सड़कें और अपर्याप्त चेतावनी संकेत

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने सड़क हादसों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें सड़क किनारे CCTV कैमरे, ट्रैफिक पुलिस की गश्त, यातायात नियमों का सख्ती से पालन और दुर्घटना पीड़ितों के लिए आपातकालीन सहायता केंद्र शामिल हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि ये उपाय कितने प्रभावी साबित हुए हैं।