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Jaipur दुर्गा पूजा के पांडाल में कोलकाता के राजप्रासाद की दिखेगी झलक

 
Jaipur दुर्गा पूजा के पांडाल में कोलकाता के राजप्रासाद की दिखेगी झलक
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर ‘मां दुर्गा की आराधना शक्ति की आराधना है। भक्ति के लिए प्रतिमाएं तैयार करना गौरव की बात है। इससे आत्मबल में वृद्धि के साथ शरीर में नई ऊर्जा का भी संचार होता है।’ यह कहना है राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्गा पूजा के र्लिए पांडाल और मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार कर रहे बंगाल से आए मूर्तिकारों का। नौ अक्टूबर को आनंदो मेले के साथ शहर में दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत होगी। जेएलएन मार्ग, वैशाली नगर, सीकर रोड व टोंक रोड सहित अन्य स्थानों पर कोलकाता के राजप्रसाद सहित अलग-अलग थीम पर पांडाल सजाए जा रहे हैं। जय क्लब में प्रोबासी बंगाली कल्चरल सोसायटी की ओर से कार्यक्रम होगा। दुर्गाबाड़ी (बनीपार्क) व कालीबाड़ी (मालवीय नगर) सहित अन्य स्थानों पर भी बंगाली संस्कृति के अनुसार धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन होंगे।

तीन अक्टूबर को होगी प्राण-प्रतिष्ठा

पानी में आसानी से घुल सकेंगी प्रतिमाएं

काली मिट्टी के साथ ही सोनागाछी (कोलकाता) की मिट्टी से तैयार की गईं प्रतिमाएं विसर्जन के समय पानी में आसानी से घुल सकेंगी।

हालांकि, कुछ जगह प्रतिमा बनाने के लिए सोनागाछी के बजाय अन्य जगहों से मिट्टी मंगाई गई है। इस बार जेएलएन मार्ग पर तीन से 15 फीट तक की प्रतिमाओं की अधिक बुकिंग हुई है। इनकी कीमत 20 हजार रुपए तक है।

दुर्गाबाड़ी में शारदीय नवरात्र के स्थान पर वर्ष भर मां दुर्गा, भगवान गणेश, कार्तिक, माता लक्ष्मी और सरस्वती के दर्शन होंगे।

वियतनाम से मंगवाए गए सफेद संगमरमर से सात से 12 फीट तक की प्रतिमाएं तैयार की गई हैं, जिनकी तीन अक्टूबर को प्राण-प्रतिष्ठा होगी। जयपुर के कलाकार महेंद्र शर्मा ने बताया कि मूर्तियों का वजन 18 टन के आसपास है।

वरिष्ठ अध्यक्ष स्वप्न गुहा ने बताया कि सर्व समाज के लोग महोत्सव में शामिल होंगे। स्वर्ण आभा थीम के साथ ही बंगाल की प्राचीन कला-संस्कृति इस बार मन्दिर रूपी पंडाल में देखने को मिलेगी। युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने के लिए मां के हर रूप के जरिये संकटों को दूर करने के साथ ही सरलता से जीवन जीने के कला विद्वान बताएंगे।