Jaipur पोरबंदर के कलाकारों ने तलवार नृत्य में दिखाया अपना युद्ध कौशल, वीडियो में देखें जयगढ़ किले का इतिहास
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर जेकेके में चल रहे लोकरंग महोत्सव में सोमवार को महाराष्ट्र के कलाकारों ने ‘सोंगी मुखवटे’ नृत्य की प्रस्तुति दी। चैत्र पूर्णिमा पर कोंकणा जनजाति की ओर से यह नृत्य किया जाता है। मुखौटे का प्रयोग इस नृत्य को खास बनाता है। काल भैरव और बेताल इसके मुख्य पात्र होते हैं। तीव्र लय पर किए जाने वाले इस नृत्य में सिंह व अन्य पात्रों का स्वांग रचा जाता है।
इससे पहले मध्य प्रदेश के मालवा की कलाकारों ने मटकी नृत्य के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। इस नृत्य को मांगलिक अवसरों पर किया जाता है। गुजरात के ‘केरबा नो वेश’ नृत्य में कलाकार कपड़े से कबूतर, तोता व अन्य जीवों की आकृति बनाकर दिखाते रहे। इसके जरिए कलाकारों ने ‘जीव संरक्षण का संदेश’ दिया। दूसरी ओर गोवा के कलाकारों ने ‘देखणी नृत्य’ किया। इसमें महिलाएं नाविक से नदी पार करवाने की अपील करती हैं।
वीर रस से भरपूर ‘तलवार रास’
पोरबंदर के कलाकारों ने वीर रस से भरपूर ‘तलवार रास’ की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने हाथ में तलवार और ढाल लेकर रण कौशल दिखाते यह नृत्य किया। खेती करने वाले महर समुदाय के लोग यह नृत्य करते हैं। नवरात्र, शादी, होली में खुशी जाहिर करने के लिए यह नृत्य किया जाता है। वहीं, राजस्थानी रामलीला में स्वर्ण-मृग शिकार, सीताहरण, राम-शबरी मुलाकात और बालि वध के प्रसंग मंचित किए गए। इसमें 15 कलाकारों ने हिस्सा लिया।
पहली बार ‘रिखमपदा’ और ‘तिवा’ नृत्य : जेकेके में पहली बार अरुणाचल प्रदेश के ‘रिखमपदा’ नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली। अरुणाचल प्रदेश में निशि जनजाति की महिलाएं समारोह में स्वागत के लिए यह नृत्य करती हैं। असम के कलाकारों ने ‘तिवा’ नृत्य किया। यह विधा भी पहली बार यहां प्रस्तुत हुई। फसल काटने से पूर्व होने वाले ‘बारात उत्सव' में यह नृत्य किया जाता है।
