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राज्यपाल बागडे का संदेश, देश सुरक्षित तभी नागरिक सुरक्षित, भीतरी और बाहरी खतरों से सतर्क रहने की आवश्यकता

राज्यपाल बागडे का संदेश, देश सुरक्षित तभी नागरिक सुरक्षित, भीतरी और बाहरी खतरों से सतर्क रहने की आवश्यकता
 
राज्यपाल बागडे का संदेश, देश सुरक्षित तभी नागरिक सुरक्षित, भीतरी और बाहरी खतरों से सतर्क रहने की आवश्यकता

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने नागरिकों और समाज को सुरक्षा और सतर्कता का संदेश देते हुए कहा कि “देश सुरक्षित रहेगा तभी नागरिक सुरक्षित रहेंगे।” उन्होंने आगाह किया कि आज भारत को केवल बाहरी खतरों से ही नहीं बल्कि भीतरी शत्रुओं से भी सावधान रहने की आवश्यकता है।

यह बात राज्यपाल बागडे ने मंगलवार को गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय में आयोजित ‘राष्ट्रीय एकात्मकता’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही।

राष्ट्रीय एकात्मकता और सुरक्षा पर जोर

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय एकात्मकता और सुरक्षा किसी भी देश की मजबूत नींव होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में विकास तभी सुनिश्चित हो सकता है जब नागरिक सुरक्षित और जागरूक हों। राज्यपाल ने कहा कि केवल सैनिक शक्ति ही देश की रक्षा नहीं कर सकती, बल्कि समाज और नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे भीतरी खतरों और सामाजिक अस्थिरता के प्रति सतर्क रहें।

भीतरी और बाहरी खतरे

हरिभाऊ बागडे ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि आज भारत को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें साइबर अपराध, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और सामाजिक असामंजस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि समाज को सशक्त और एकजुट बनाना ही इन चुनौतियों का मुकाबला करने का सबसे बड़ा तरीका है।

विद्यार्थियों और युवाओं को संदेश

संगोष्ठी में राज्यपाल ने विशेष रूप से विद्यार्थियों और युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय एकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना से प्रेरित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ समाज में जागरूकता और सुरक्षा के महत्व को समझना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा, “युवा ही देश का भविष्य हैं। यदि युवा वर्ग अपने कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारी को समझेगा, तभी देश की एकात्मकता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।”

संगोष्ठी का महत्व

गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी राष्ट्रीय एकात्मकता, सामाजिक समरसता और नागरिक जिम्मेदारी के मुद्दों पर केंद्रित थी। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए विद्वान, शिक्षक और विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया। संगोष्ठी में बहस, व्याख्यान और समूह चर्चाओं के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि देश की सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।