Rajasthan Congress की राजनीती में बदलती सियासी हलचल के चलते आखिर कौन बनेगा नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष? जाने
जयपुर न्यूज़ डेस्क,राजस्थान कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष की जल्द नियुक्ति के साथ ही पार्टी को नया प्रदेशाध्यक्ष मिलने की चर्चा भी तेज हो गई है। सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किए जाने और हरीश चौधरी को पंजाब के प्रभारी पद से मुक्त करने की वजह से प्रदेश के सियासी समीकरण बदलने की ज्यादा चर्चा है। पहले नेता प्रतिपक्ष या फिर प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में सचिन पायलट का भी नाम था, लेकिन वे छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी मिलने के बाद दौड़ से बाहर हो गए हैं। हालांकि वे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में मुख्य भूमिका में आ सकते हैं। उधर, चर्चा है कि प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा नेता प्रतिपक्ष बनने के इच्छुक हैं। इन हालात में नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है यदि हरीश चौधरी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया तो महेन्द्रजीत सिंह मालवीय नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे रहेंगे। हालांकि प्रदेश में जो भी बदलाव होंगे वो 5 जनवरी को करणपुर विधानसभा चुनाव के बाद ही होंगे।
डोटासरा इसलिए नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में आगे
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा करीब साढ़े 3 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। वे 15 जलाई 2020 को अध्यक्ष बने थे। वे चौथी बार विधानसभा पहुंचे हैं। विधानसभा में वे मुद्दे उठाने को लेकर विपक्ष में रहते एक्टिव रहे हैं। इसलिए उनका नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नाम आगे हैं।
हरीश चौधरी को जिम्मेदारी तो डोटासरा की छुट्टी
पार्टी में दूसरी चर्चा यह भी है कि हरीश चौधरी के पंजाब प्रभारी पद से मुक्त होने के बाद प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वे दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं और एक बार सांसद रह चुके हैं। यदि उन्हें यहां अध्यक्ष या फिर नेता प्रतिपक्ष में से कोई पद मिला तो जाट समुदाय से दो नेता बड़े पदों पर नहीं रह सकते। ऐसे में डोटासरा की छुट्टी हो सकती है। चौधरी अध्यक्ष बनते हैं तो महेन्द्रजीत सिंह मालवीय नेता प्रतिपक्ष बनाए जा सकते हैं।
गहलोत के दिल्ली में ही जिम्मेदारी संभालने की चर्चा
तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत को अभी दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें नेशनल अलांय कमेटी में सदस्य बनाया गया है। ऐसे में उनकी आगामी लोकसभा चुनाव में अन्य दलों के साथ गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बड़ी भूमिका रहेगी। चर्चा है कि अनुभवी नेता के रूप में अब दिल्ली में ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां आगे भी मिल सकती हैं।
रंधावा भी सुर्खियों में
सुखजिंदर सिंह रंधावा को फिर से प्रदेश के प्रभारी पद की जिम्मेदारी मिलने से वे भी पार्टी में सुर्खियों में हैं। वजह है कि रंधावा ने विधानसभा चुनाव की हार के बाद दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक के बाद मीडिया के हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने के सवाल पर कहा था कि वे राजस्थान में विधानसभा चुनाव तक ही रहना चाहते थे। उन्हें पंजाब में भी काम करना है। इस बयान के बाद माना जा रहा था कि प्रदेश को नया प्रभारी मिल सकता है, लेकिन उन्हें ही पार्टी ने फिर कमान देकर चौंका दिया है। अब लगभग तय है कि लोकसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में होगा। ऐसे में वे पंजाब में ज्यादा समय नहीं दे पाएंगे।