DFO से मारपीट मामले में पूर्व विधायक राजावत की सजा पर हाई कोर्ट से रोक, CCTV में कैद वीडियो से सामने आई बड़ी सच्चाई
जयपुर न्यूज़ डेस्क, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत को हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। हाई कोर्ट ने कोटा एससी/एसटी कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी हैं, जिसमें कोर्ट ने राजावत और बीजेपी कार्यकर्ता महावीर सुमन को वन विभाग के अफसर को थप्पड़ मारने का दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी।
अपील में राजावत के अधिवक्ता दीपक चौहान ने कहा कि मामले में अभियुक्तों को दोष सिद्ध करने के लिए पत्रावली पर कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं था। लेकिन फिर भी ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषसिद्ध कर दिया, जो विधि सम्मत नहीं हैं।
अपील के निस्तारण में समय लगेगा, ऐसे में उनकी सजा को सस्पेंड किया जाए। वहीं सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि इस स्टेज पर सजा को सस्पेंड नहीं किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद कहा कि पूरे प्रकरण में तथ्यों, परिस्थितियों, तर्कों एवं अपील के निस्तारण में समय लगने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सजा को सस्पेंड किया जाता हैं।
डीसीएफ को मारी थी थप्पड़
मामला मार्च 2022 का है। तब दाढ़ देवी माता मंदिर रोड पर यूआईटी की ओर से करवाए जा रहे पैचवर्क को वन विभाग ने रुकवाया था। इस बात से नाराज होकर 31 मार्च 2022 की दोपहर 3:30 बजे पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत समर्थकों के साथ राजभवन रोड स्थित वन विभाग के ऑफिस में गए थे। तत्कालीन डीसीएफ रविकुमार मीणा राजावत को कुर्सी पर बैठने और चाय पीने का आग्रह करते रहे। बातचीत के दौरान राजावत ने डीसीएफ रविकुमार को थप्पड़ मार दिया था।
रविकुमार ने कोटा के नयापुरा थाने में भवानी सिंह राजावत, भाजपा कार्यकर्ता महावीर सुमन सहित 10-15 लोगों पर थप्पड़ मारने, धक्का-मुक्की करने और राजकार्य में बाधा के आरोप लगाए थे। पुलिस ने धारा 332 (गैर जमानती), 353, 34 और 3 (2)(va) एससी/एसटी एक्ट में मामला दर्ज किया था। राजावत 1 अप्रैल 2022 को गिरफ्तार हुए। 10 दिन जेल में रहे थे। बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।
राजावत और सुमन को 3-3 साल की सजा
कोटा की एससी/एसटी कोर्ट ने 19 दिसम्बर 2024 को फैसला सुनाते हुए भवानी सिंह राजावत व महावीर सुमन को राजकार्य में बाधा डालने और थप्पड़ मारने के मामले में दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी। वहीं, धारा-3 (एससी-एसटी) में दोनों को बरी कर दिया था।
राजावत ने कोर्ट में सजा सस्पेंशन एप्लिकेशन लगाई थी। जिसको कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सस्पेंशन अपील लिए एक महीने का वक्त दिया था।