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Jaipur राजस्थान में दीवाली के सीजन में कम पड़ सकती है बिजली, सिर्फ 11 दिन का कोयला बचा, बड़े पावर कट का संकट

 
जयपुर राजस्थान में दीवाली के सीजन में कम पड़ सकती है बिजली, सिर्फ 11 दिन का कोयला बचा, बड़े पावर कट का संकट

जयपुर न्यूज़ डेस्क, दीपावली पर राजस्थान में बिजली की कमी हो सकती है। राज्य क्षेत्र में 2062 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली नौ बिजली उत्पादन इकाइयों को बंद कर दिया गया है। राज्य में अधिकतम बिजली की खपत सितंबर में दैनिक व्यस्त समय के दौरान 15,000 मेगावाट को पार कर गई है।

सूत्रों के अनुसार उपलब्धता करीब 12500 मेगावाट है। 2500 मेगावाट बिजली की कमी हो रही है। छत्तीसगढ़ में, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएनएल) को आवंटित कोयला खदानों में परसा पूर्व और कांटे बासन कोयला ब्लॉकों में कोयले की कमी हो गई है। इस वजह से 9 रेक यानी 36000 मीट्रिक टन कोयले का आना भी बंद हो गया है।

कोयले की आपूर्ति में इस कमी से करीब 2000 मेगावाट बिजली उत्पादन प्रभावित होगा। ट्रेन के एक रैक में 4000 मीट्रिक टन कोयला होता है। राज्य के सभी 6 थर्मल प्लांट में सिर्फ 11 दिन का कोयला बचा है।

इस कोयले का उपयोग बिजली संयंत्रों की बिजली इकाइयों को चलाने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है। केंद्रीय गाइडलाइन है कि कोयले का 26 दिन का स्टॉक हो। लेकिन 1 साल से अधिक समय से राजस्थान में भी केंद्रीय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है।

दिवाली का त्योहारी सीजन आ रहा है। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (आरयूवीएनएल) की एक आकलन रिपोर्ट में, वर्ष 2022-23 में राज्य में पीक आवर बिजली की मांग 17,757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि उपलब्ध क्षमता 12847 होने का अनुमान है।

उसके आधार पर 4910 मेगावाट बिजली की कमी होगी। माना जा रहा है कि इस फेस्टिव सीजन में मांग 17700 मेगावाट तक पहुंच सकती है। अगर कोयले की आपूर्ति और बिजली उत्पादन की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो राज्य के लोगों को बड़ी बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएनएल) के सीएमडी और अधिकारियों की घोर लापरवाही से आज राजस्थान बिजली संकट का सामना कर रहा है।

ऐसे में दिल्ली पहुंचे राजस्थान के बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के जरिए सिर्फ 3 रेक कोयला बढ़ाने पर सहमति जताई है. वहीं साफ तौर पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार से बात करने की बात कही गई है, ताकि राजस्थान को आवंटित और स्वीकृत कोयला खदानों पर खनन शुरू कर कोयले की आपूर्ति शुरू की जा सके।
राज्य क्षेत्र में 2062 मेगावाट की 9 बिजली इकाइयाँ बंद

राजस्थान में 2062 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली 9 बिजली उत्पादन इकाइयां राज्य क्षेत्र में ठप पड़ी हैं। तकनीकी खराबी जैसे डैमेज, लीकेज आदि का हवाला देते हुए सभी को बंद कर दिया गया है।
त्योहारी सीजन में घट सकती है 4910 मेगावाट बिजली

राजस्थान में 1 करोड़ 47 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। दिवाली का त्योहारी सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। त्योहारी सीजन में मांग 17700 मेगावाट तक पहुंच सकती है। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (आरयूवीएनएल) की एक आकलन रिपोर्ट में, वर्ष 2022-23 में राज्य में पीक आवर बिजली की मांग 17,757 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि उपलब्ध क्षमता 12847 होने का अनुमान है।

उसके आधार पर 4910 मेगावाट बिजली की कमी होगी। फिलहाल इससे निपटने के लिए कोई बिजली विभाग या कंपनी नहीं है। मानसून आने के बाद बिजली की मांग बढ़ेगी। लेकिन बिजली उत्पादन बढ़ने के बजाय घट गया है। राज्य में कोई भी नई बिजली संयंत्र इकाई स्थापित नहीं की जा रही है। इसलिए बिजली खरीद कर काम चलाने का रवैया अपनाया गया है। पानी से उत्पन्न सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत, मौसम पर अधिक निर्भर हैं। इसलिए वह उन पर निर्भर नहीं रह सकता।
अघोषित बिजली कटौती, लोड शेडिंग और एक्सचेंजों से बिजली की खरीद

बिजली की तीव्र कमी को पूरा करने के लिए, राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (आरयूवीएनएल) एक्सचेंज से बिजली की जोरदार खरीद कर रहा है। अलग-अलग समय पर 5 रुपये से 12 रुपये में बिजली मिल रही है। कुछ दिनों में 60 से 70 लाख यूनिट बिजली खरीदनी पड़ती है। प्रदेश में लोड शेडिंग कर फीडरों से बिजली भी काटी जा रही है। जयपुर डिस्कॉम के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 फीडर, अजमेर डिस्कॉम के 11 फीडर, जोधपुर डिस्कॉम के 5 फीडरों को 20 सितंबर को बिजली काटनी पड़ी है. इसके अलावा ग्रामीण, शहरी और शहरी क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती जारी है। फाल्ट और ट्रिपिंग के मामले भी बढ़े हैं। अलग-अलग जगहों पर लोगों को आधे घंटे से लेकर 4 घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली संयंत्रों में कोयले का गंभीर संकट

राजस्थान के बिजली संयंत्र पिछले साल से गंभीर कोयला संकट का सामना कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदानों में कोयले की कमी और नए विस्तार क्षेत्र में खनन पर रोक से कोयले की आपूर्ति बाधित हुई है। केंद्र सरकार ने समझौते के तहत ओडिशा के महानदी कोयला क्षेत्र से राजस्थान को कोयला आवंटित किया है। लेकिन कोयले को ओडिशा से पारादीप बंदरगाह और फिर गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर लाया जाना है।

उसके बाद, कोयले को रेलवे मालगाड़ी के वैगनों में लादना पड़ता है और राजस्थान में बिजली स्टेशनों तक पहुँचाया जाता है। इसमें 30 से 35 दिन लग सकते हैं। केंद्रीय गाइडलाइन है कि राजस्थान में कोयले का 26 दिनों का स्टॉक रखा जाए। लेकिन राज्य में बिजली स्टेशनों में अधिकतम कोयला स्टॉक 3 से 11 दिन का ही है। स्टॉक के लिए आरवीयूएनएल जिम्मेदार है, लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्रालय के बार-बार निर्देश के बावजूद यह पिछले एक साल से स्टॉक का रख-रखाव नहीं कर पाया है।