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Hanumangarh सरकारी शिक्षक से कार सौदे में धोखाधड़ी, केस दर्ज

 
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हनुमानगढ़ न्यूज़ डेस्क, हनुमानगढ़ में एक सरकारी शिक्षक के साथ कार खरीद के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी सामने आई है। मामले में पीड़ित मोहम्मद रफीक ने अपने कॉलेज के पुराने दोस्त और हरियाणा में कार्यरत सरकारी शिक्षक सिकंदर बराड़ पर साढ़े तीन लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

घटना सितंबर 2023 की है। रफीक को कार खरीदनी थी और उन्होंने अपने पुराने दोस्त सिकंदर से संपर्क किया, जो कारों की खरीद-फरोख्त का काम भी करता था। सिकंदर ने पहले कुछ कारों की तस्वीरें दिखाईं, जो रफीक को पसंद नहीं आईं। फिर उसने दिल्ली नंबर की महिंद्रा एक्सयूवी 500 की डील 9.50 लाख रुपए में तय की। रफीक ने सिकंदर के कहने पर 12 से 21 सितंबर के बीच कई किश्तों में कुल 3,46,161 रुपए का भुगतान किया। इसमें से कुछ रकम कथित कार मालिक तरन्नुम मंसूरी के खाते में और कुछ सिकंदर के फोनपे अकाउंट में ट्रांसफर की गई। लेकिन इसके बाद न तो कार मिली और न ही पैसे वापस हुए।

पीड़ित ने बताया की कार के संबंध में सिंकदर बराड़ ने उसे कहा कि उक्त कार दिल्ली नम्बर की है। दिल्ली से इसकी एनओसी प्राप्त कर जल्द ही शेष राशि प्राप्त कर उसके नाम कार का रजिस्ट्रेशन करवा देगा। साथ ही उक्त कार उसे सुपुर्द कर देगा। उसके बाद वह लगातार सिकन्दर बराड़ से फोन पर बात करता रहा, लेकिन सिकन्दर बराड़ जल्द एनओसी आने का कहता रहा। उसके साथ पढ़ा होने के कारण वह सिकन्दर बराड़ पर विश्वास कर कार के रजिस्ट्रेशन के लिए इंतजार करता रहा। जनवरी 2024 के बाद से सिकन्दर बराड़ का मोबाइल फोन बन्द आने लगा।

इस पर पीड़ित ने सिकन्दर बराड़ के पिता गुरमेल सिंह बराड़ से नई खुंजा घर जाकर सम्पर्क किया तथा सारी घटना बताई। तब गुरमेल सिंह बराड़ ने कहा कि उनके बेटे के कृत्य पर वे शर्मिंदा हैं। गुरमेल सिंह बराड़ ने जिम्मेदारी ली कि अभी उनका हाथ तंग है। अक्टूबर में दीपावली पर वे उसके रुपए लौटा देंगे। दीपावली के बाद 5 नवंबर 2024 को वह अपने साथ अब्दुल मुनाफ पुत्र मोहम्मद तुफैल को लेकर गुरमेल सिंह बराड़ से मिला तो उसने कहा कि उसकी व उसके पुत्र सिकन्दर सिंह की तो एक ही बात है। वे तो लोगों से ऐसे ही ठगी मारते हैं। उससे भी दोनों पिता-पुत्र ने मिलकर ठगी मार ली। अब वे न तो उसके रुपए लौटाएंगे तथा न ही कोई कार देंगे। गुरमेल सिंह बराड़ ने कहा कि उसकी ओर से दिए गए रुपए उन्होंने अपने निजी कार्य में खर्च कर लिए।