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Dungarpur मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों के अनुरूप सुविधाएं नहीं, 3 लाख जुर्माना

 
Dungarpur मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों के अनुरूप सुविधाएं नहीं, 3 लाख जुर्माना
डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज बांसवाड़ा सहित प्रदेश के 5 नए कॉलेजों में से 4 नागौर, बारां, सवाईमाधोपुर मेडिकल कॉलेजों में 100 सीटों पर प्रवेश लेने की अनुमति के लिए राजमेस (राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी) की प्रथम अपील को खारिज कर एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) ने पिछले फैसले को यथावत रखा है। प्रदेश में सिर्फ झुंझुनूं मेडिकल कॉलेज को शर्तों के आधार पर 50 सीटों पर प्रवेश लेने की अनुमति दी गई है। वहीं, दूसरी ओर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) नई दिल्ली ने तय मापदंड पूरे नहीं करने पर डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

अब राजमेस बांसवाड़ा सहित चारों जिलों के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने की अनुमति के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में एनएमसी में दूसरी अपील करेगा। यह इस सत्र की आखिरी अपील होगी। इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने पर सत्र 2025-26 में ही अपील की जाएगी। मेडिकल कॉलेज बांसवाड़ा के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. मेघश्याम शर्मा ने बताया कि राजमेस ने मेडिकल कॉलेज बांसवाड़ा सहित पांचों मेडिकल कॉलेजों में प्रथम वर्ष में 100 सीटों पर प्रवेश के लिए सितंबर 2023 में एनएमसी नई दिल्ली में आवेदन किया था। इसके लिए एनएमसी की टीम ने इसी साल जून में पांचों कॉलेजों में भवन, आधारभूत संरचना, फैकल्टी, संसाधन व अन्य सुविधाओं का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में कमियां पाए जाने पर उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था। इसके बाद राजमेस ने बांसवाड़ा सहित चारों कॉलेजों के लिए 18 जुलाई को एनएमसी में प्रथम अपील की थी। 23 व 24 जुलाई को एनएमसी की टीम ने चारों कॉलेजों में जाकर निरीक्षण किया था। 30 जुलाई को एनएमसी ने अपने फैसले में पूर्व के फैसले को यथावत रखते हुए प्रवेश की अनुमति अस्वीकृत कर दी है। अपील खारिज होने के पीछे सबसे बड़ा कारण फैकल्टी यानी शिक्षण स्टाफ की कमी बताया गया है।

हालांकि राजमेस ने अपने कॉलेजों से प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसरों का तबादला कर दिया है और राजस्थान सरकार ने इन नए कॉलेजों में फैकल्टी की व्यवस्था करने के लिए अपने अधीन कॉलेजों से डॉक्टरों का तबादला कर दिया है। इसके अलावा नए मेडिकल कॉलेजों के अधीन आने वाले जिला अस्पतालों के ग्रुप-2 के डॉक्टरों को ग्रुप-1 में नियुक्त कर फैकल्टी की कमी को दूर करने का प्रयास किया है, लेकिन यह कमी पूरी तरह दूर नहीं हो पाई। इसलिए प्रथम अपील के बाद एनएमसी ने निरीक्षण में पाई गई कमियों को गंभीर मानते हुए खारिज कर दिया। दूसरी अपील केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में करनी होगी। पहली अपील अपनी ही एनएमसी में की जाती है। राजमेस ने 24 जुलाई को एमजी जिला अस्पताल के 32 डॉक्टरों को ग्रुप-2 से ग्रुप-1 यानी राजमेस में नियुक्त किया। इसके अलावा आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर से 8, जोधपुर से 6, भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज से 6 और डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज से 3 यानी अन्य मेडिकल कॉलेजों से कुल 20 फैकल्टी नियुक्त करने के आदेश जारी किए। प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. मेघश्याम शर्मा ने बताया कि 31 जुलाई तक डूंगरपुर के 3 और भीलवाड़ा के 6 फैकल्टी ने ज्वाइन नहीं किया है, जबकि शेष ने कार्यभार संभाल लिया है। आयोग की जांच में पता चला कि मेडिकल कॉलेजों ने जुगाड़ से एक ही फैकल्टी को दो जगह स्थापित कर जांच प्रक्रिया पूरी कर ली थी।

नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कॉलेजों के आवेदन खारिज होने की पुष्टि की है। डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज पर जुर्माना लगाने के बाद कॉलेज की ओर से 25 जुलाई को जुर्माने की राशि का भुगतान कर दिया गया है। अब भौतिक सत्यापन के लिए दो माह का समय दिया गया है। दो माह बाद फिर से आधारभूत संरचना, सुविधाओं और मानव संसाधन के मानकों की जांच की जाएगी। ऐसा नहीं हुआ तो कॉलेज पर फिर से तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। दो बार जुर्माना लगने के बाद अपील का मौका नहीं मिलेगा। कारण यह है कि मेडिकल कॉलेज ने मेडिकल आयोग की शर्तें पूरी नहीं की हैं। कॉलेज में 150 सीटों के लिए पूरी फैकल्टी और सुविधाएं नहीं हैं। अन्य स्टाफ की भी कमी है। मेडिकल कॉलेज में एनएमसी की गाइडलाइन के मुताबिक दो माह में फैकल्टी की कमी दूर नहीं की गई तो इसकी मान्यता पर भी असर पड़ सकता है। प्रदेश के अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों पर भी सुविधाओं और फैकल्टी की कमी के चलते जुर्माना लगाया गया है। कुछ कॉलेजों को सीटें कम करने की चेतावनी भी दी गई है। जुर्माने में शामिल सभी कॉलेज केंद्र और राज्य के संयुक्त कोष से प्रदेश में स्थापित राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजमेस) के अधीन हैं। इस कॉलेज का पहला एमबीबीएस बैच इसी साल पास आउट हुआ है।