Udaipur टीवी के 99 साल, इतिहास में तीन, अब ओटीटी-गेमिंग कंसोल से बड़ी स्क्रीन

 
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर  टेलीविजन ने दुनिया में 99 साल पूरे कर लिए हैं। यह आविष्कार स्कॉटिश इंजीनियर जॉन लोगी बेयर्ड ने साल 1924 में किया था. तब से मनोरंजन के इस साधन ने कई यादगार दौर देखे हैं. एक समय टीवी पर सिर्फ एक ही चैनल हुआ करता था. तब रिमोट का अस्तित्व भी नहीं था. रिमोट आया, फिर टीवी का कंट्रोल मोबाइल में चला गया और अब टीवी मोबाइल में ही आ गया है. हर टीवी चैनल का अपना ओटीटी प्लेटफॉर्म है। कई बार शो टीवी पर टेलीकास्ट होने से पहले ही ओटीटी पर आ जाता है। स्मार्ट टीवी आने के बाद टीवी और मोबाइल एक दूसरे से जुड़ गए हैं। अब चुनावी मुद्दों से भी टीवी शब्द हट गया है. पहले एक गांव में सिर्फ एक टीवी लगाना भी एक बड़ी उपलब्धि थी। भारत में टीवी का पूरक रहा दूरदर्शन भी कहीं गायब हो गया है। अपडेट करने के बाद भी दूरदर्शन को बहुत कम दर्शक देखते हैं। विश्व टेलीविजन दिवस पर  देखें सालों पुराने अनोखे टीवी सेट जो आज कहीं देखने को नहीं मिलते। ये पुराने टीवी सेट अब दुर्लभ हो गए हैं। भूपेन्द्र मल्हारा के पास शहर में ऐसे टीवी सेटों का संग्रह है।

ये टीवी शो आज भी यादों में जिंदा हैं

हम लोग, रामायण, महाभारत, मालगुडी डेज, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, चित्रहार, रंगोली, शक्तिमान, बुनियाद, श्रीमान-श्रीमती, देख भाई देख जैसे कई सीरियल आज भी लोगों के जेहन में हैं।

इधर, दूरदर्शन भी सीमित, 4 साल में पूरे प्रदेश के रिले सेंटरों पर ताले

एक समय था जब टीवी का मतलब सिर्फ दूरदर्शन होता था। लोग घंटों इंतजार करते थे.

डिजिटल युग आने के बाद दूरदर्शन की टीआरपी कम हो गई है। जनवरी 2018 में प्रसार भारत ने देश के 272 दूरदर्शन रिले केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया था.

इसमें प्रदेश के 41 रिले सेंटर शामिल थे। प्रसार भारती ने यह फैसला नवीनतम तकनीक के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाने के कारण लिया था। अब दूरदर्शन और उसके क्षेत्रीय चैनल केवल सेटअप बॉक्स से ही देखे जा सकेंगे। जबकि रिले सेंटर के माध्यम से एक छोटे एंटीना के माध्यम से ही कार्यक्रम को स्पष्ट एवं बेहतर तस्वीर के साथ देखा जा सकता था।

रंगीन टीवी के बाद डेढ़ दशक में आई क्रांति, आईटी ने दुनिया बदल दी

थ्री इन वन 4 इंच टीवी सेट

उदयपुर सहित प्रदेश के ये सभी रिले सेंटर बंद: पाली, बाली, बड़ी सादड़ी, कोटड़ा, कुंभलगढ़, कुशलगढ़, सागवाड़ा, डूंगरपुर, भरतपुर, नगर, भीनमाल, गंगानगर, भादरा, टिब्बी, झालावाड़, चौमहला, पिड़ावा, झुंझुनूं, रतनगढ़ , केसरजी. , किशनगढ़, मकराना, सरदारशहर, सिरोही, आमेट, भीम, देवगढ़, गंगापुर सिटी, मांडलगढ़, फतेहपुर, नीम का थाना, लक्ष्मणगढ़, राजगढ़, तारानगर, रावतभाटा, जमुवारामगढ़, विराटनगर, आंधी, शाहपुरा, लालसोट, सिकराय। 90 के दशक में रंगीन टीवी का चलन बढ़ा। तब ये किसी स्टेटस सिंबल से कम नहीं था. एक बड़े हॉल में एक बड़ा और भारी टीवी किसी प्रभावशाली से कम नहीं माना जाता था। पिछले डेढ़-दो दशकों में आईटी ने टीवी की दुनिया को बदल कर रख दिया है. अब देश-दुनिया की तरह लेक सिटी में भी OLED और स्मार्ट टीवी का क्रेज है। इनकी कीमत 10 हजार से 2.5 लाख तक है. शहर में लगभग सभी कंपनियों के स्मार्ट टीवी उपलब्ध हैं। ब्लैक एंड व्हाइट टीवी का वजन 6 किलो है। इस 10 इंच के टीवी को डायनोरा कंपनी ने 1985 में लॉन्च किया था। यह ब्लैक एंड व्हाइट था लेकिन इस टीवी में कंट्रास्ट सेट करने का भी विकल्प था। यह टीवी सेट दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय था। इसमें 10 इंच की स्क्रीन थी.

कई आविष्कारों के बीच एक टीवी भी आया जिसे लोग अपने साथ लेकर चलते थे। स्क्रीन साइज 6 इंच और शेप क्यूब था. वीसीआर संलग्न की गई। क्राउन कंपनी ने इसे लॉन्च किया. नाम था-हैंडी क्यूब टीवी. इसमें पावर ऑन-ऑफ, वॉल्यूम, चैनल का कंट्रोल इसी सेट पर किया जाता था। यह 1980 के दशक में आया था. यह थ्री इन वन टीवी है। इसमें टीवी, रेडियो और टेप रिकॉर्डर एक साथ हैं। टीवी की स्क्रीन का साइज सिर्फ 4 इंच है। इसमें एक एंटीना लगा हुआ था. इसे जापान की JVC कंपनी ने 1980 में लॉन्च किया था. उस वक्त इसकी कीमत करीब 25 से 30 हजार रुपये थी. इस सेट का वजन करीब 10 किलो है.