Kota अगर व्यायामशालाएँ अच्छी नहीं होंगी तो पदक जीतने वाले पहलवान कहाँ मिलेंगे?

 
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा  अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने के बाद तो प्रदेश सरकार भी पहलवानों को 1 करोड़ रुपए दे रही है, लेकिन यही पैसा अगर बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जाए तो बेहतर खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं। कोई भी जनप्रतिनिधि अखाड़ों की दुर्दशा और पहलवानों की तकलीफ देखने नहीं आता। इसके बावजूद अखाड़ों में तैयार पहलवान प्रदेश व जिले के लिए मेडल जीतने के लिए हमेशा आतुर रहते हैं। बेहतर सुविधाएं मिलें तो और मेडल जीत सकते हैं। यह कहना है श्री मंग्लेश्वर महादेव व्यायामशाला छावनी के पहलवान नाथूलाल सुमन का। उन्होंने बताया कि शहर में कुल 71 अखाड़ें हैं। इसमें से 41 लाइसेंसधारी व 30 बिना लाइसेंसधारी हैं। इन अखाड़ों में जूडो, कुश्ती, मलखम्भ, शस्त्र प्रशिक्षण, योगाभ्यास का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनसे कई पहलवान, कुश्ती, जूड़ो सहित अन्य प्रतियोगिताओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से इन अखाड़ों को कोई सहायता नहीं मिलती।

5 साल पहले मिली थी खेल सामग्री

उन्होंने बताया कि सरकार या खेल मंत्रालय से अखाड़ों को कोई सामग्री नहीं मिलती। पांच साल पहले नगर विकास न्यास की ओर से सभी अखाड़ों को 10 गद्दे, 2-2 बैंच, 2 सेट डम्बल, वेट मशीनें दी गई थी। अब गद्दों की हालत ऐसी हो गई कि इन पर कुश्ती नहीं करवाई जा सकती। इन सामग्री के अलावा बच्चों को कोस्ट्यूम व जूडो की ड्रेस की व्यवस्था की जाए तो यहां तैयार किए जा रहे खिलाड़ी आगे बढ़ सकते हैं। अनन्त चतुर्दशी पर अखाड़ों को नगर निगम की ओर से पुरस्कार राशि दी जाती थी, वह भी 2019 से बंद कर दी गई। उन्होंने बताया कि उनकी व्यायामशाला 40 साल से अधिक समय से चल रही है। अब तक 2 हजार से ज्यादा खिलाडिय़ों को कुश्ती, जुड़ो का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यहां तैयार खिलाड़ी तानिया राठौर ने जूड़ो में राष्ट्रीय सब जूनियर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक, खेलो इंडिया में सिल्वर व कांस्य पदक जीता है। उन्होंने बताया कि व्यायामशाला की 5 छात्राएं भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) भोपाल में जूड़ो का प्रशिक्षण ले रही हैं। एक खिलाड़ी शिवानी गोचर का वल्ड्र जूड़ो चैम्पियनशिप क्रोएसिया में चयन हुआ। खेल मंत्रालय से स्वीकृति मिल गई, लेकिन वीजा नहीं मिलने से वह प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकी।