जयपुर को आखिर क्यों कहा जाता है ‘पिंक सिटी’

जानें इससे जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट

आखिर क्यों पुकारा जाता है 'पिंक सिटी'

कहा जाता है कि इसे 'पिंक सिटी' कहे जाने के पीछे कई कहानियां मौजूद हैं, तो आईये जानते हैं इनके बारे में

क्या बनाता है खास

राजस्थान की राजधानी जयपुर देश के उन शहरों में से एक है, जिसे बेहतरीन संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए दुनिया भर में पसंद किया जाता है. इस शहर का सांस्कृतिक पहनावा इसे ज्यादा खास बनाता है.

औपनिवेशिक शासन

पिंक सिटी कहे जाने के पीछे आपको कई थियोरी मिल जाएंगी, लेकिन जो सबसे चर्चित मानी जाती है, वह है औपनिवेशिक शासन

गुलाबी टेराकोटा रंग से रंगवा दिया

साल 1876 में प्रिंस अल्बर्ट भारत आने वाले थे और उनके स्वागत के लिए महाराजा सवाई राम सिंह द्वितिय ने शाही सम्मान में पूरे शहर को गुलाबी टेराकोटा रंग से रंगवा दिया. राजा के इस प्रयास की चर्चा राजस्थान ही नहीं पूरे देश में हो रही थी.

राजनीतिक संबंध

कहा जाता है कि राजा ने अपने राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए ऐसा किया था. इतना ही नहीं प्रिंस अल्बर्ट के स्वागत की खुशी में राज्य में एक कॉन्सर्ट हॉल भी तैयार किया गया था, जिसे अल्बर्ट हॉल कहा जाता है.

शानदार वास्तुकला

इस हॉल में की गई बेहद शानदार वास्तुकला की गई, जिसकी तारीफ दूर-दूर तक हुई. राजा की ओर से उठाए गए अनोखे कदम का जवाब नहीं था.

राजकुमार ने दिया नाम

प्रिंस अल्बर्ट के स्वागत के लिए राजस्थान के कई हिस्सों में मेहमानवाजी का आयोजन किया गया. इन हिस्सों में अलवर और जोधपुर का नाम भी शामिल है.

उनके मुंह से शहर का नाम

कहते हैं कि जब राजकुमार जयपुर आए, तो वह शहर का ये नजारा देखकर अचंभित रह गए और उनके मुंह से शहर का नाम पिंक सिटी निकला. कहा जाता है कि तभी से राज्य को पिंक सिटी के रूप में जाना जाता है.

अन्य कारण

शहर के कई अजूबे लाल बलुआ पत्थर से बने हैं इसलिए, यह केवल एक संयोग हो सकता है कि जब राजकुमार यहां आए, तो महाराजा ने सोचा कि इस शहर को एक गुलाबी रंग देना चाहिए ।

आज भी रंगा जाता यही गुलाबी रंग में

गुलाबी शहर के सफल मेकओवर के बाद महाराजा की पत्नी ने शहर की सभी इमारतों को पिंक रंग में रंगने के लिए उन्हें एक कानून पारित करने के लिए कहा। कानून 1877 में पारित किया गया था।