राजस्थान के इस किले में हैं दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार

नाम जान रह जायेंगें हैरान

दीवार के चर्चे पूरे वर्ल्ड में

उदयपुर की फेमस जगहों में शामिल हैं एक ऐसा किला स्थित है जिसकी दीवार चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बाद वर्ल्ड की सबसे लंबी दीवार है। तो चलिए आपको बताते हैं इस किले के बारे में जिसकी दीवार के चर्चे पूरे वर्ल्ड में हैं।

कुम्भलगढ़ का किला

उदयपुर से 70 किमी दूर स्थित कुम्भलगढ़ किला मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की प्रतिभा का स्मारक है।

दुनियाभर से टूरिस्ट्स आते हैं

कुम्भलगढ़ किला राजस्थान ही नहीं इंडिया के सभी किलों में खास स्थान रखता है, साथ ही इसकी भव्यता को देखने के लिए दुनियाभर से टूरिस्ट्स आते हैं।

अजेयगढ कहा जाता था

कुम्भलगढ़ किले को अजेयगढ कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना बेहद ही मुश्किल था।

संकटकालीन राजधानी

महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राज परिवार इसी किले में रहा करता था।

पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन

कुम्भलगढ़ किले में महाराणा उदय सिंह को पन्ना धाय ने छिपाकर पालन पोषण किया था। साथ ही पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन भी यहीं बीता था।

कुम्भलगढ़ किले की खासियत

इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे बडी दीवार है। यहां हम द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की बात कर रहे हैं जो दुनिया के सात अजूबों में शुमार है।

सम्राट अशोक के पुत्र

इस किले का निर्माण सम्राट अशोक के पुत्र संप्रति के बनाए किले के अवशेषों पर साल 1443 से शुरू होकर 15 वर्षों बाद 1458 में पूरा हुआ था।

कई घाटियों और पहाड़ियों को मिला

यह किला कई घाटियों और पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है और इस किले में ऊंचे स्थानों पर महल, मंदिर, आवासीय इमारते बनायीं गईं।

खासियत

इसके समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया जाता था। वहीं ढलान वाले भागो का उपयोग जलाशयों के लिए किया जाता था।

बादल महल और कुम्भा महल

इस किले के भीतर एक और गढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है और कुम्भा महल सबसे ऊपर है।

महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये

इस किले का निर्माण कार्य पूरा होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर किले का नाम अंकित था। इस किले में प्रवेश द्वार, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें आदि बने हुए हैं।