ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को उत्तर भारत के कई राज्यों में वट सावित्री व्रत किया जाता है। यह व्रत पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है। आइए आपको बताते हैं कब है वट सावित्री व्रत 2023-
इस दिन शादीशुदा महिलाएं निर्जला व्रत रखकर वट वृक्ष और देवी सावित्री की पूजा करती हैं। ये व्रत पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है।
इस साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई गुरुवार को रात 09 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है।
वट सावित्री व्रत वाले दिन सुबह से ही पूजा का अच्छा मुहूर्त है। पूजा का अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक है।
जो महिलाएं सुबह जल्दी पूजा करना चाहती हैं, वो प्रात: 04 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 15 मिनट के मध्य पूजा पाठ कर सकती हैं।
इस व्रत में वट वृक्ष और सावित्री की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। इस व्रत के करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति दीर्घायु होते हैं।
माना जाता है वट वृक्ष में तीनों देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है। ऐसे में इसकी परिक्रमा करने से भगवान का आशीष प्राप्त होता है।
इसके पीछे कहानी है कि इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगे थे, जिसके बाद एक वट वृक्ष के नीचे उन्हें प्राण वापस मिले थे।
आप भी इस शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकती हैं। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें।