बिरला मंदिर जयपुर के इतिहास से जुड़े कुछ फैक्ट्स

लक्ष्मी नारायण मंदिर या बिरला मंदिर ?

एक रूपये की टोकन में जगह

जयपुर में जिस जगह पर बिरला मंदिर स्थित है उस जगह को जयपुर के महाराज द्वारा एक रूपये की टोकन राशी के रूप में बिरला को दे दी थी।

बिरला परिवार ने वर्ष 1988 में

इसके बाद इस भूमि को मंदिर के लिए उपयुक्त मानते हुए बिरला परिवार ने वर्ष 1988 में यहां मंदिर का निर्माण किया तभी से यह मंदिर तीर्थ यात्रियों के लिए एक दर्शनीय स्थल बन गया है।

बिरला मंदिर वास्तुकला

जयपुर का बिरला मंदिर अपनी बारीक नक्काशी और बारीकी से किये गए वर्क के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले पर्यटक इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर मोहित हो जाते हैं।

मंदिर के तीन विशाल गुंबद

मंदिर के तीन विशाल गुंबदों द्वारा धर्म के तीन अलग-अलग तरीकों को दर्शाया गया है। मुख्य मंदिर के बाहर आपको हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को चित्रित करने वाली कई कांच की खिड़कियाँ देखने को मिलेंगी।

बिरला मंदिर में अंदर

बिरला मंदिर में अंदर जाते हैं तो आपको सबसे पहले भगवान गणेश की एक छवि दिखाई देती है जिसको बेहद शुभ माना जाता है। यहाँ से आप मंदिर के मुख्य गर्भगृह में पहुंचते हैं जहाँ पर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियाँ विराजित हैं।

लक्ष्मी-नारायण की मूर्तियाँ

लक्ष्मी-नारायण की यह मूर्तियाँ संगमरमर के एक टुकड़े से निकाली गई हैं जिन्हें भव्य आभूषणों और कपड़ों से सजाया गया है।

बिरला परिवार संग्रहालय

बिरला मंदिर के चारों तरफ विशाल उद्यान हैं इसके आलवा यहाँ बिरला परिवार के सदस्यों इस्तेमाल की जाने वाली घरेलू वस्तुओं को रखने वाला एक छोटा संग्रहालय भी यहां स्थापित किया गया है।

बिरला मंदिर में जन्माष्टमी

जन्माष्टमी के त्यौहार को बिड़ला मंदिर में बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस खास मौके को चमचमाती रोशनी और तेल के दीपक के साथ सजाया जाता है।

बिरला मंदिर जयपुर टाइमिंग्स

नियमित आने वाले पर्यटकों के लिए मंदिर की टाइमिंग प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच और दोपहर 3:00 बजे से 9:00 बजे के बीच हैं।