आत्माओं के खौफ से भरा जयपुर का नाहरगढ़ किला

आत्मा के डर से थम गया था इस किले का काम

कहा जाता है भूतिया

जस्थान में कई किले है जो अपनी सुंदर चित्रकारी और रोचक इतिहास के लिए जाने जाते हैं लेकिन आज हम आपको जयपुर के नाहरगढ़ (Nahargadh) किले के बारे में बताने जा रहे हैं जो भूतिया कहा जाता है

राजा राम सिंह और महाराजा माधव सिंह

इस किले की नींव महाराजा सवाई जय सिंह ने रखी थी. जिसके बाद राजा राम सिंह और महाराजा माधव सिंह के कार्यकाल में इसका निर्माण किया गया

प्रेतात्मा का साया

किले के बारे में कहा जाता है कि जब यहां पर निर्माण कार्य शुरू हुआ. तभी से यहां किसी प्रेतात्मा का साया है. जो प्रेतात्मा किले में बनाई गई दीवारों को रात में गिरा देती थी.

सिर कटने के बाद भी धड़ लड़ता रहा

फिर इसकी जानकारी एक तांत्रिक को दी गई और उन्होंने अपने विद्या से ये जाना कि ये आत्मा एक वीर योद्धा नाहर सिंह की थी. जिनका युद्द में सिर कटने के बाद भी धड़ लड़ता रहा था.

सुदर्शनगढ से बदल कर नाहरगढ़ रख दिया गया

कहते हैं कि किले का निर्माण तभी पूरा हुआ जब उस आत्मा के आदेश पर पहले वहां मंदिर बनाया गया. इसके बाद किले का नाम भी सुदर्शनगढ से बदल कर नाहरगढ़ रख दिया गया था.

भूतिया किला

इस किले में अचानक तेज हवाएं चलने लगती है और दरवाजे में लगे कांच टूटकर बिखर जाते हैं. फिर अगले ही पल यहां पर ठंडक महसूस होने लगती है.

कभी नहीं हुआ हमला

इसे किले को लेकर यह बोला जाता है कि राजस्थान का एक मात्र ऐसा फोर्ट है जहां कभी भी हमला नहीं हुआ।

इंडो-यूरोपियन आर्किटेक्चर

इंडो-यूरोपियन आर्किटेक्चर के रूप में विख्यात यह महल बेहतरीन संरचनाओं के लिए जाना जाता है। जयपुर के कई शासकों का मंदिर भी इस महल में स्थापित है।

दीवान-ए-आम

इस फोर्ट में रानियों के लिए लगभग 12 खास और अद्भुत कमरे बनवाए गए थे। इस महल में दीवान-ए-आम एक ऐसी जगह थी, जहां अक्सर राजा अपने प्रजा से मिलकर उनका दुःख सुना करते थे।

सबसे सुरक्षित फोर्ट

दीवारों पर अलग-अलग चित्र इस और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस फोर्ट को जयपुर में सबसे सुरक्षित फोर्ट माना जाता था।