राजस्थान के गरासिया जनजाति जहां लिव इन में रहने का रिवाज।

यहाँ शादी से पहले ही बच्चा करने की प्रथा है और जहां महिलाओं को दिया जाता है ऊंचा स्थान।

गरासिया जनजाति का इतिहास

गरासिया' शब्द संस्कृत के 'ग्रास' शब्द से बना है जो किसी पदार्थ को दर्शाता है। गरासिया जनजाति राजपूतों के वंशज हैं जिन्होंने एक भील महिला से शादी की थी।

लिव इन रिलेशनशिप को देते हैं प्राथमिकता

गरासिया जनजाति का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि ये शादी से पहले ही सदस्यों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप का रिवाज़ ।

जाने इसके बारें में और रोचक बातें

वार्षिक गौर मेला, जनजाति के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है जहां जोड़े अपनी पसंद के भागीदारों के साथ भाग जाते हैं।उनके लौटने पर वर पक्ष को चुकानी होती है भुगतान राशि

महिलाओं का पद ज़ादा ऊँचा माना जाता है यहाँ

इस जनजाति की खास बात यह है कि महिलाएं किसी अन्य मेले में एक नए लिव-इन पार्टनर की तलाश कर सकती हैं; जिसे उसके पूर्व साथी को चुकाना पड़ता है ज़्यादा भुगतान।

बच्चे के जन्म के बाद होती है शादी

यहाँ महिलाएं लिव इन में रहने के साथ बच्चा होने पर और पार्टनर अच्छा होने पर ही रचाती है शादी,किसी भी तरह की असंतुष्टि पर होने वो बेजिझक तोड़ सकती हैं रिश्ता।

जीवन यापन के लिए करते हैं खेती

अपने जीवन यापन को बनाए रखने के लिए गरासिया जनजाति के लोग खेती करते हैं; मक्का सभी गरासिया परिवारों द्वारा उगाया जाने वाला मुख्य भोजन है।

फैशन में भी आगे है गरासिया जनजाति

गरासिया आदिवासी समुदाय द्वारा पहने जाने वाले कपड़े काफी स्टाइलिश होते हैं।चांदी के कई आभूषण इनके फैशन में हैं।

आइये जानते है महिलाओं का पहनावा

गरासिया समुदाय की महिलाएं आमतौर पर झुल्की,घेरदार घाघरा और ओढ़नी पहनती हैं। महिलाओं में गोदना भी काफी प्रचलित है।

इस प्रकार गरासिया जनजाति कई अन्य जनजातियों से है बिल्कुल अलग

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